सूर्य उपासना का ये सबसे बड़ा पर्व है जिसे “छठ पर्व” कहा जाता है ये पर्व चार दिनों तक लगातार चलता है, जिसमें हर एक दिन का विशेष महत्व होता है
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छठ के पहले दिन को नहाय खाय के नाम से बोला जाता है जिसमे पर्व करने वाले गंगा स्नान करके सूर्य देव को पानी देते है फिर खाना खाते है
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छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है खरना का दिन सबसे कठोर व्रत का दिन होता है जिसमे खीर-रोटी सहित कई फल फुल से खुले आंगन में रात को पूजा किया जाता है
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छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है, यही छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है, इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
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ये छठ पर्व का अंतिम दिन होता है और इसी के साथ छठ पर्व का समापन कर दिया जाता है
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भगवान सूर्यदेव और छठ मैय्या का आशीर्वाद पाने के लिए विधि-विधान के साथ छठ पूजा करनी होती है
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बांस की 3 टोकरी, एक सूप, थाली, गिलास, दूध, नारियल, हल्दी,चावल, सिंदूर, दीपक, सब्जी, शकरकंद, गन्ना, पान,सुपारी , नींबू, शहद, फल,फूल, मिठाई,कपूर आदि।
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इसके अलावा पूजा के प्रसाद के लिए ठेकुआ, गुड-चावल से बना खीर, हलवा, मालपुआ और चावल के लड्डू के साथ “छठ पूजा” किया जाता है
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