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Ukraine Russia Crisis: नाटो की आर में अमेरिका क्या गुल खिला रहा है

यूक्रेन  और रूस के बीच महीनों से चलता आ शीत यूध और तनाव को आखिरकार युद्ध तबदील हो गया । यूक्रेन पर का लगातार हमला जारी है, लेकिन एक सवाल जो हर कोई जानना चाहता है कि यूक्रेन और रूस के बिच ऐसा क्या है, जिसकी वजह से रूस पूरी दुनिया से भी टकराने को तैयार है यहाँ तक की उसने पूरी दुनिया को खुलेआम धमकी दे दी । वैसे दोनों देशो के बिच राजनितिक संघर्ष को देखा जाए तो छोटे-बड़े कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे अहम और बड़ा कारण है वो है नाटो । इस युद्ध के पीछे सबसे बड़ी भूमिका नाटो की ही है ।

Ukraine Russia War

NATO जिसे अमेरिका ने डेवेलोप किया

नाटो (NATO) यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन, हिंदी में कहे तो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन उत्तरी अमेरिका । दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद, सोवियत संघ (Russia) की विस्तारवादी नीति जो थी वो कायम रही, वर्ष 1939-1945 के बीच चले दूसरे विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद भी सोवियत संघ ने कई देशो पर हमला करके उसे अपने साथ मिलाया । सोवियत संघ के विस्तारवादी निति को रोकने के लिए अमेरिका ने 1949 में 12 देशों के साथ मिलकर नाटो को बनाया, जिसमे अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबुर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे और पुर्तगाल जैसे देश सामिल थे । NATO धीरे-धीरे अपना सदस्य बढ़ता गया और आज के समय में, नाटो के 30 देश मेंबर हैं । यह एक सैन्य गठबंधन है और इसका सीधा सा उद्देश्य है साझा सुरक्षा नीति पर काम करना और उन्हें कायम रखना । अगर कोई देश नाटो NATO के किसी भी सदस्य देश पर हमला करता है तो नाटो का यह कर्तव्य है कि सभी देश जो नाटो के सदस्य है  एकजुट होकर उस पर हमला करें या उससे बदला लें ।

दूसरी तरफ अगर देखा जाए तो दुसरे विश्वयुद्ध के बाद बने इस गठबंधन का पहला और सबसे बड़ा मकसद था सोवियत संघ के बढ़ते दायरे को रोकना । इसके अलावा अमेरिका ने इसे यूरोपीय महाद्वीप में राजनीतिक एकता कायम करने के लिए भी इस्तेमाल किया ।

Nato

नाटो घोषणापत्र के अनुच्छेद पांच के अनुसार उत्तरी अमेरिका या यूरोप के किसी एक या एक से ज्यादा सदस्यों पर हमला हो, तो अनुच्छेद के मुताबिक ऐसा माना जायेगा की ये हमला सब पर हुआ है इसके बाद हर कोई घोषणापत्र के अनुच्छेद 51 के अनुसार हमला झेल रहे पक्ष की जरुरी होने पर सैन्य तरीको से उसकी सुरक्षा की करवाई कर सकता है । बेसिकैली देखा जाए तो तो इस संघठन का मकसद है की अगर कोई बाहरी देश नाटो सदस्य देश पर हमला करता है तो बाकि सदस्य देश राजनितिक और सैन्य तरीके से उसे सुरक्षा करेंगे ।

रूस की  NATO से इतनी घृणा क्यों ?

रूस की नाटो के प्रति इतनी घृणा क्यों है इसे समझने के लिए थोड़ा हमे वक़्त से पीछे जाना होगा । जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ उसके बाद, दुनिया में सिर्फ दो ही सुपर पॉवर थे सोवियत संघ और अमेरिका । दिसंबर 25, 1991 को सोवियत संघ से अलग होकर 15 नए देश बन गये । अगल होने के बाद इनमें से जयादातर देश नाटो में शामिल होते गए जो रूस को रास नहीं आया । क्योंकि रूस ये चाहता नहीं था । इस तरह अमेरिका ने रूस से अलग हो चुके देशो में से अधिकतर देशो को नाटो में मिला लिया और इसके बाद भी 2008 में अमेरिका ने जॉर्जिया और यूक्रेन को भी NATO में शामिल होने का आमंत्रण दिया, लेकिन रूस ने ऐसा नहीं होने दिया । रूस के राष्ट्रपति पुतिन नाटो के विस्तार को लगातार बहिस्कार कर रहे हैं । लास्ट दिसंबर में उन्होंने कहा था, कि NATO का ईस्ट में विस्तार नहीं माना जाएगा । फिर भी 2017 से 2020 के बीच में भी कुछ देश नाटो में शामिल हुए हैं । विवाद की वजह अगर देखा जाये तो ये भी है कि अमेरिका ने NATO को सोवियंत संघ के खिलाफ बनाया गया था और रूस सोवियत संघ का ही हिस्सा था ।

रूस को ये डर है की अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है तो नाटो की फ़ोर्स रूस की बॉर्डर तक पहुँच जाएगी । अगर रूस के करीब नाटो की फोर्स पहुंच जाती है तो रूस के लिए खतरा भी हो सकता है । दूसरी तरफ रूस का ये भी मानना है कि नाटो में जितने देश शामिल होंगे, अमेरिका उतना ही पावरफुल होता जाएगा सोवियत संघ पहले ही 15 हिस्सों में विभाजित होने से कमजोर हो चूका है इसलिए रूस चाहता है कि यूक्रेन की आर में नोटों की सेना उसके बॉर्डर तक ना पहुंचे, यही कर है जो रूस नाटो से घृणा करता है ।

आखिर ब्लादिमीर पुतिन क्या चाहता है ?

रूस चाहता है की ईस्ट यूरोप में नाटो अपना विस्तार बंद कर दे क्योकि इससे उसे खतरा है । पुतिन इस बात को कई बार रिपीट भी कर चुके है उन्होंने साफ साफ कह किया है की यूक्रेन का नाटो में शामिल होना किसी भी मूल्य पर मंजूर नहीं है । और तो और रूस ये चाहता है की अमेरिका नाटो के जरिये रूस के आस पास अपने फ़ोर्स की तैनाती बंद कर दे ।

ये सब जानते हुए भी आखिर यूक्रेन क्या चाहता है ?

जैसा की आप निचे दिए गये इमेज में देख सकते है यूक्रेन एक छोटा सा देश है यूक्रेन की सेना भी काफी छोटी है । यूक्रेन के मुकाबले रूस के पास कही ज्यादा सेना है फ़िलहाल रूस के पास करीब 8.5 लाख सैनिक हैं वही यूक्रेन के पास महज 2 लाख सैनिक हैं । यूक्रेन को रूस से खतरा महसूस होता है इसलिए वह अपनी आजादी को कायम रखने के लिए नाटो जैसे सैन्य संगठन की जरूरत महसूस करता है जो उसकी रक्षा कर सके, और यूक्रेन के लिए NATO से बेहतर कोई दूसरा संगठन हो ही नहीं सकता ।

Russia & Ukraine Map

पर यहाँ तो मामला बिलकुल बिपरीत हो गया, यहाँ तक की जिस अमेरिका के बल-बूते यूक्रेन कूद रहा था, वो भी साथ देने से हाँथ खरे कर दिया । ऐसे में यूक्रेन की हालत बहुत नाजुक स्तिथि में है रूस द्वारा लगातार हो रहे हमले के कारण यूक्रेन के हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर चले गये हैं । अब देखना ये है की क्या रूस यूक्रेन को घुटने टेकने पे मजबूर कर पता है या फिर यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं बनने के लिए अपनी सहमती देता है

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